सबसे पहले हम शुरूआत करते हैं लैंग्वेज से लैंग्वेज का हिन्दी मतलब हुआ “भाषा” और भाषा से तात्पर्य यह है कि हम अपनी बातों को अपने भावनाओं को दूसरों को कैसे समझाते हैं। हम अगर बात करें पूरे विश्व की तो हजारों भाषाऐं लगभग बोली जाती है, हर जगह की अपनी भाषाऐं होती है। अपने ही देश भारत की बात करें तो यहॉं 28 राज्य है और हर लगभग हर राज्य की अपनी भाषाऐं है जैसे- पंजाब में पंजाबी, तमिलनाडु में तमिल, और महाराष्ट्र में मराठी बस इसी तरह हर जगह अलग-अलग तरह की भाषाऐं बोली जाती है। हमलोग अपने बिहार का ही बात करें तो यहाँ भी बहुत तरह की भाषाऐं बोली जाती है सबसे पहले आती है हिन्दी जो कि पूरे बिहार में लगभग बोली जाती है फिर जैसे- मैथली, भोजपूरी ये सब भी बोली जाती है।
मगर अंग्रजी एक ऐसी भाषा है जो लगभग पूरे विश्व में बोली जाती है कहने को मतलब यही है कि हम अपनी बातों को समझाने के लिए बहुत सारी भाषाओं का चयन कर सकते हैं लेकिन हम वही भाषा का चुन सकते हैं, जो सामने वाला आदमी समझता हो ऐसा नहीं की उसे हिन्दी समझ आती हो, और हम उनसे अंग्रेजी में बात करने लग जाए।
अब मान लेते हैं हम कहीं गए या फिर कोई हमारे यहॉं आया वो कोई और भाषा का प्रयोग कर रहे हैं और हमें हिन्दी आती है तो जाहिर सी बात है हम उनकी बातों को वो हमें क्या कहना चाह रहे हैं वो नहीं समझ पाऐंगे इसके लिए या तो वो हमारी भाषा सिखेंगे या फिर हम उनकी भाषा को सिखेंगे ताकि वो हमें क्या कहना चाह रहें है इस चीज को हम समझ सकें। हम अपनी बात को किसी को तभी समझा सकते है जब सामने वाले व्यक्ति और हमें एक जैसी भाषा आती हो।

कंप्यूटर लैंगवेज :-
जैसे हमने ऊपर देखा बिल्कुल उसी तरह कंप्यूटर के भी अपने लैंगवेज “भाषा” होते हैं वो हमारी भाषाओं को नहीं समझ सकते इसलिए कंप्यूटर हमारी बातों को समझ सकें हमारे कामों को कर सकें, इसलिए कंप्यूटर लैंगवेज का उपयोग किया जाता है।
जैसे – पाइथन, जावा, C++…. इत्यादि।

ये सब देखते हुए विद्वानों ने कंप्यूटर लैंगवेज को मुख्यत: तीन भागों में बॉंटा है –
- मशीनी भाषा
- असेंबली भाषा
- उच्च-स्तरीय भाषा 1.मशीनी भाषा :- इस भाषा को समझना हमारे लिए थोड़ा मुश्किल होता है, हमारा कंप्यूटर सिर्फ इसी भाषा को समझता है जिसे हम बाइनरी कहते है, इसमें 0 और 1 आता है 0 का मतलब बंद और 1 का मतलब चालू होता है।
2.असेंबली भाषा :- यह भाषा एक निम्न-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा है जो मशीनी भाषा से थोड़ा आसान होता है। यह कंप्यूटर के हार्डवेयर के करीब होता है, मशीन में बदलने के लिए एक असेंबलर की जरूरत पड़ती है ।
3.उच्च-स्तरीय भाषा :- इस भाषा को समझना आसान होता है हमारे लिए यह एक ऐसी भाषा है जो प्राकृतिक भाषा के करीब होती है यह इंसानी भाषा और गणितीय प्रतीकों से मिलती-जुलती है।
Conclusion
कंप्यूटर लैंगवेज कंप्यूटर और हमारे बीच बात करने और एक दूसरे की बात को समझने का जरिया बनता है कंप्यूटर लैंगवेज से चीजें बहुत आसान हो गई है। कंप्यूटर भाषा पहले बहुत कठिन थी जो हमारे लिए समझना थोड़ा मुश्कलि हो जाता था लेकिन समय के साथ साथ इसमें बहुत बदलाव हुआ है पहले कंप्यूटर मशीनी भाषा से शुरू हुई थी इसके बाद असेंबली और फिर उच्च-स्तरीय भाषा आई जिससे हमारे लिए इसको समझना आसान हो गया। अभी के समय में कंप्यूटर बहुत सारी भाषाओं को समझते हैं और हमारे कामों को आसानी से करते हैं।





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